मंगलवार, जनवरी 24

जाने कौन सिवाय तेरे


जाने कौन सिवाय तेरे

तेरी धरा नीर भी तेरा
तेरी अगन पवन भी तेरा,
तेरे ही आकाश के नीचे
सकल रूप डाले हैं डेरा !

देह भी तेरी मन भी तेरा
श्वासें तेरी चिंतन तेरा,
तेरी ही प्रज्ञा के कारण
कैसा जगमग हुआ सवेरा !

तू ही चला रहा सृष्टि को
जाने कौन सिवाय तेरे,
एक बीज में छिपा सकल वन
एक शब्द से सबको टेरे !

यही एक राज  पाना है
होना क्या फिर खो जाना है,
तू ही है अब तू ही तो था
तुझको ही बस रह जाना है !

एक झलक जो तेरी पाए
तेरा दीवाना हो जाये,
गा गा कर फिर तेरी गाथा
मस्त हुआ सा दिल बहलाए !  





12 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति
    कल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, ।। वक्‍़त इनका क़ायल है ... ।।

    धन्यवाद!

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  2. तू ही तू है जहाँ भी नज़र जाये..........बहुत शानदार है पोस्ट|

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  3. देह भी तेरी मन भी तेरा
    श्वासें तेरी चिंतन तेरा,
    तेरी ही प्रज्ञा के कारण
    कैसा जगमग हुआ सवेरा !... मन प्रमुदित हुआ

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  4. यही एक राज पाना है
    होना क्या फिर खो जाना है,
    तू ही है अब तू ही तो था
    तुझको ही बस रह जाना है !

    ....यही एक आकांक्षा है...आभार

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  5. bahut hi achchi, spiritual aur inspirational kavita, dhanyavaad!

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  6. बेहद खूबसूरत तरीके से ईश्वर के प्रति ...भावना को समझा दिया .....आभार

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  7. बहुत सुन्दर....
    एक बीज में छिपा सकल वन
    एक शब्द से सबको टेरे !

    बहुत खूब...

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  8. बुत बढ़िया रचना |
    मेरी नई रचना जरुर देखें |
    मेरी कविता:शबनमी ये रात

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  9. तेरा नीर गगन भी तेरा
    तेरी अगन पवन भी तेरा,
    मैं भी तेरी और तू भी तेरा.........
    बेहतरीन अप्रतिम रचना........
    सादर,
    यशोदा

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