जाने कौन सिवाय तेरे
तेरी धरा नीर भी तेरा
तेरी अगन पवन भी तेरा,
तेरे ही आकाश के नीचे
सकल रूप डाले हैं डेरा !
देह भी तेरी मन भी तेरा
श्वासें तेरी चिंतन तेरा,
तेरी ही प्रज्ञा के कारण
कैसा जगमग हुआ सवेरा !
तू ही चला रहा सृष्टि को
जाने कौन सिवाय तेरे,
एक बीज में छिपा सकल वन
एक शब्द से सबको टेरे !
यही एक राज पाना है
होना क्या फिर खो जाना है,
तू ही है अब तू ही तो था
तुझको ही बस रह जाना है !
एक झलक जो तेरी पाए
तेरा दीवाना हो जाये,
गा गा कर फिर तेरी गाथा
मस्त हुआ सा दिल बहलाए !
बेहतरीन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकल 25/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, ।। वक़्त इनका क़ायल है ... ।।
धन्यवाद!
तू ही तू है जहाँ भी नज़र जाये..........बहुत शानदार है पोस्ट|
जवाब देंहटाएंदेह भी तेरी मन भी तेरा
जवाब देंहटाएंश्वासें तेरी चिंतन तेरा,
तेरी ही प्रज्ञा के कारण
कैसा जगमग हुआ सवेरा !... मन प्रमुदित हुआ
खुबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंयही एक राज पाना है
जवाब देंहटाएंहोना क्या फिर खो जाना है,
तू ही है अब तू ही तो था
तुझको ही बस रह जाना है !
....यही एक आकांक्षा है...आभार
बेहतरीन। बधाई।
जवाब देंहटाएंbahut hi achchi, spiritual aur inspirational kavita, dhanyavaad!
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत तरीके से ईश्वर के प्रति ...भावना को समझा दिया .....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंएक बीज में छिपा सकल वन
एक शब्द से सबको टेरे !
बहुत खूब...
बुत बढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना जरुर देखें |
मेरी कविता:शबनमी ये रात
तेरा नीर गगन भी तेरा
जवाब देंहटाएंतेरी अगन पवन भी तेरा,
मैं भी तेरी और तू भी तेरा.........
बेहतरीन अप्रतिम रचना........
सादर,
यशोदा
बहुत ही सुंदर !
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