देव और असुर
किन्हीं सबल क्षणों का नाम देव
और दुर्बल क्षणों का नाम असुर रखकर
मानव ने मुक्ति पा ली !
जब मन स्वस्थ है, सजग है
आशान्वित है
देव है हमारे साथ !
जब क्लांत है मन
घिरा-घिरा किन्हीं अशुभ ग्रहों से
माना कहीं नहीं है !
किंतु क्यों रहे मन में विषाद
क्यों उखड़ें श्वासें
क्यों निकले स्वेद बिंदु
क्यों उर तड़पे
सत्कर्म नहीं कुछ
सिर्फ़ अक्रियता
यही है असुर !
सोचें सारी कुंद हो जातीं
जब साथ नहीं देव !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 23 अक्टूबर को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
बहुत बहुत आभार पम्मी जी!
हटाएंनिसंदेह सत्य
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार रितु जी!
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