जीवन यही तो माँगता
हम कौन हैं ? यह याद है ?
गर याद, दिल आबाद है
आबाद है इक ख़्वाब से
मंज़िल यहीं, इस बात से !
है याद? हमको क्या मिला?
गर याद है तो क्या गिला !
पग धरने को धरती मिली
उड़ने को आसमां मिला !
साँसे मिलीं, इक मन मिला
मन में बसा प्रियतम मिला,
यह याद है ? क्या भेंट दी
गर याद है तो क्या किया ?
माँगा सदा चाहा सदा
सिमटा ह्रदय बाँटा कहाँ,
जो पास अपने गर लुटा
रोशन रहे दिल का जहाँ !
सुख-चैन बरसेगा अगर
चलता रहे दिन-रात बस
हम कौन?हमको क्या मिला?
से क्या दिया? का सिलसिला !
जो नहीं मिला उसी के दुख में जो मिला है उसका सुख ले ही नहीं पाते हैं...।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संदेशात्मक अभिव्यक्ति।
सस्नेह
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ अक्टूबर २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।