मत लगाना दिल यहां पर
ख्वाब है यह जिंदगी इक
यह सुना है,
मत लगाना दिल यहां पर
यह गुना है !
आएगी इक बाढ़ जैसी
महामारी,
था अंदेशा कुछ दिलों को
त्रास भारी !
डोलती है मौत या फिर
भ्रम हुआ है,
व्यर्थ ही तो ज्यों सभी का
श्रम हुआ है !
क्या करेंगे कल यहां
सूझे नहीं,
कब थमेगी आग यह
बूझे नहीं !
जो हो रहा वह मान लें
हों कैद सब,
जो पल मिले जी लें उन्हें
दे चैन रब !
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (२१-०४-२०२१) को 'प्रेम में होना' (चर्चा अंक ४०४३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंचैन भी कहाँ है अब ...
जवाब देंहटाएंये दौर ऐसा है किसी को कहीं आराम नहीं ... सहमें हैं सब ...
इसी उहापोह में ही खोजना है चैन, राह बनानी है
हटाएंजो हो रहा वह मान लें
जवाब देंहटाएंहों कैद सब,
जो पल मिले जी लें उन्हें
दे चैन रब !
यही बात सही है अभी के हालात में।
ये वक़्त भी गुज़र जाएगा, हौसला रखें!!
जवाब देंहटाएंसही कह रही हैं आप, वक्त को हर हाल में गुजरना होता है,
हटाएंस्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंक्या करेंगे कल यहां
जवाब देंहटाएंसूझे नहीं,
कब थमेगी आग यह
बूझे नहीं !
सच ही अब कुछ भी बुझाता ही नहीं ...सोच कर भी क्या करेंगे .. बस चल रही ज़िन्दगी .... कब तक पता नहीं ..
वाकई हालात बहुत ही अजीब रुख लेते जा रहे हैं, अब तो अल्लाह ही मालिक है
हटाएंजो हो रहा वह मान लें
जवाब देंहटाएंहों कैद सब,
जो पल मिले जी लें उन्हें
दे चैन रब !
वाह !! बहुत खूब,सही कहा आपने "जो पल मिले जी लें उन्हें " कल ना जाने वो भी मिले ना मिले,सादर नमन आपको
स्वागत व आभार कामिनी जी !
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