शुक्रवार, सितंबर 25

भोर में कोई जगाये

 भोर में कोई जगाये 

चैन नींदों में समाए 

स्वर्ग स्वप्नों में दिखाए,

भोर में कोई जगाये 

बस यही तुम मांग लेना ! 


बैन में मधुरा भरी हो 

नैन सूरत साँवरी हो, 

जगत की पीड़ा हरी हो 

बस यही आशीष लेना !


पग कभी रुकने न पाएँ

हाथ अनथक श्रम उठायें, 

अधर पल-पल मुस्कुराएं 

बस यही वरदान लेना !


रिक्त हो उर चाह से अब

सिक्त हो रस रास से जब,  

पूर्णता का भास हो तब 

बस यही सुख जान लेना !


श्वासों में भी कंप न हो 

देह-हृदय में द्वंद्व न हो, 

सुरताली स्वच्छंद न हो 

बस यही संकल्प लेना ! 


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