मन निर्मल इक दर्पण हो
लंबी गहरी श्वास भरें
वायरस का विनाश करें,
प्राणायाम, योग अपना
अंतर में विश्वास धरें !
उष्ण नीर का सेवन हो
उच्च सदा ही चिंतन हो,
परम सत्य तक पहुँच सके
मन निर्मल इक दर्पण हो !
खिड़की घर की रहे खुली
अधरों पर स्मित हटे नहीं,
विषाणु से कहीं बड़ा है
साहस भीतर डटें वहीं !
नियमित हो जगना-सोना
स्वच्छ रहे घर, हर कोना,
स्वादिष्ट, सुपाच्य आहार
मुक्त हवा आना-जाना !
नयनों में पले विश्वास
मन को भी न करें उदास,
पवन, धूप, आकाश, नीर
परम शक्ति का ही निवास !
मुक्ति का अहसास मन में
चाहे हो पीड़ा तन में,
याद रहे पहले कितने
फूल खिले इस जीवन में !
बहुत सुंदर संदेश।
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति प्रेरणास्पद और सुंदर संदेश से भरी हुई ।
जवाब देंहटाएंकितनी सुंदर रचना है!
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएंप्रेरणा देती हुई पंक्तियाँ ... मन में ऐसा भाव आ सके तो जीवन आसान हो जाये ...
जवाब देंहटाएं